"बेटी न कहो मुझे
मैं आपका बेटा हूँ पापा ."
- यह जिद्द
बिटिया करती है अक्सर
पता नहीं
क्यों और कैसे
लड़का होने की चाह
घर कर गई है
उसके मन में .
वैसे मान सकता हूँ मैं
बेटा - बेटी एक समान होते हैं
बेटी भी बेटा ही होती है
मगर नहीं मान पाता
बेटी को बेटा .
कैसे मानूं ?
क्यों मानूं ?
बेटी को बेटा
बेटा होना कोई महानता तो नहीं
बेटी होना कोई गुनाह तो नहीं
बेटी का बेटी होना ही
क्या काफी नहीं ?
क्यों पहनाऊँ मैं उसे
बेटे का आवरण ?
नासमझ
नन्हीं बिटिया को
जिद्द के चलते
भले ही मैं
कहता हूँ बेटा उसे
मगर मेरा अंतर्मन
मानता है उसे
सिर्फ और सिर्फ
प्यारी-सी बिटिया .....
-DILBAG VIRK, SAHITAYASURBHI.BLOGSPOTमैं आपका बेटा हूँ पापा ."
- यह जिद्द
बिटिया करती है अक्सर
पता नहीं
क्यों और कैसे
लड़का होने की चाह
घर कर गई है
उसके मन में .
वैसे मान सकता हूँ मैं
बेटा - बेटी एक समान होते हैं
बेटी भी बेटा ही होती है
मगर नहीं मान पाता
बेटी को बेटा .
कैसे मानूं ?
क्यों मानूं ?
बेटी को बेटा
बेटा होना कोई महानता तो नहीं
बेटी होना कोई गुनाह तो नहीं
बेटी का बेटी होना ही
क्या काफी नहीं ?
क्यों पहनाऊँ मैं उसे
बेटे का आवरण ?
नासमझ
नन्हीं बिटिया को
जिद्द के चलते
भले ही मैं
कहता हूँ बेटा उसे
मगर मेरा अंतर्मन
मानता है उसे
सिर्फ और सिर्फ
प्यारी-सी बिटिया .....
ये कविता मेरी है मान्यवर http://sahityasurbhi.blogspot.in/2011/02/3.html
ReplyDeletesorry sir,
Deletechori ka koi irada ni tha,,,ye poem mujhe fb pe mili thi,,,vhan se mane post ki,,,sorry sir ji DIL SE
यह अनेक पत्रिकाओं में बहुत पहले से प्रकाशित है अत: इसे अपना बनाने का भ्रम छोड़ दें
ReplyDeleteयह अनेक पत्रिकाओं में बहुत पहले से प्रकाशित है अत: इसे अपना बनाने का भ्रम छोड़ दें
ReplyDeleteये कविता मेरी है मान्यवर http://sahityasurbhi.blogspot.in/2011/02/3.html
ReplyDeleteये अच्छी बात नहीं है । लिखना चाहिये कि रचना का लेखक कौन है और कहाँ से ली गई है । दिलबाग जी के ब्लाग में पहले से ये रचना है 10 फरवरी 2011 को छप चुकी है ।
ReplyDeleteहो सकता है कि आप का इरादा चोरी का न हो, पर रचना पोस्ट करते समय उसके रचनाकार या साभार लिंक देना न भूलें, जहांतक रचनाकार का विरोद बिलकुल उचित है, क्योंकि यह ब्लौग आप का निजी ब्लौग है, मेरे ब्लौग kavita-manch.blogspot.com पर कयी रचनाकार अन्य रचनाकारों की रचनाएं पोस्ट करते हैं कभी भी किसी रचनाकार ने किसी प्रकार का विरोध नहीं किया।
ReplyDeleteअगर आप इस रचना के साथ इन रचनाकार का नाम देते तो इन्हे रचना यहां देखकर अवश्य हर्ष होता।
कलम की इज्ज़त ही हमें रचना की ओर ले जाती है.....कलम पूजनीय है.....लेखक का सम्मान उसकी रचना के साथ उसका नाम देना ही तो है.....और अच्छी रचनाओं का संग्रह रखना अच्छा ही तो है | ये रचना इस बात को प्रमाणित करती है की ये दिलों को छूती है जो आपने अपने ब्लाग पर रखी.....
ReplyDeleteअपने सम्मान का भी ख्याल रखिये |
shamefull
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