Thursday, June 20, 2013

उमस भरी रात थी 
मेघ बूँद आ गिरी 
एक गंध छा गयी 
बिटिया, तुम आ गयी? 

निर्जन सा पेड़ था 
फूट गयी कोंपलें 
लद गयी थी डालियाँ 
बस गए फिर घौसलें 
देख कुहक छा गयी 
चिड़िया, तुम आ गयी?

जागती सी रात थी 
चाँद-तारे दूर थे 
उथल-पुथल मौन था 
देव सारे चूर थे 
कोई परी आ गयी 
गुड़िया, तुम आ गयी?

धुंध भरी भोर थी 
फूट पड़ी रश्मियाँ 
इठलाती ओस थी 
जाग उठी पत्तियाँ 
गीत कौन गा गयी 
मुनिया, तुम आ गयी?

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