Sunday, June 23, 2013

किसी पेड़ की इक डाली को,
नव जीवन का सुख देने
नव प्रभात की किरणों को ले,
खुशियों से आंचल भर देने
दूर किसी परियों के गढ़ से, नव कोंपल बन आई बिटिया।
सबके मन को भायी बिटिया, अच्छी प्यारी सुन्दर बिटिया॥
 
आंगन में गूंजे किलकारी,
जैसे सात सुरों का संगम
रोना भी उसका मन भाये,
पर हो जाती हैं, आंखें नम
इतराना इठलाना उसका,
मन को मेरे भाता है
हर पीड़ा को भूल मेरा मन,
नए तराने गाता है
जीवन के बेसुरे ताल में, राग भैरवी लायी बिटिया।
सप्त सुरों का लिए सहारा, गीत नया कोई गाई बिटिया॥
 
बस्ते का वह बोझ उठा,
कांधे पर पढ़ने जाती है
शाम पहुंचती जब घर हमको,
आंख बिछाए पाती है
धीरे-धीरे तुतलाकर वह,
बात सभी बतलाती है
राम रहीम गुरु ईसा के,
रिश्‍ते वह समझाती है
कभी ज्ञान की बातें करती, कभी शरारत करती बिटिया।
एक मधुर मुस्कान दिखाकर हर पीड़ा को हरती बिटिया॥
 
सुख और दुख जीवन में आते,
कभी हंसाते कभी रुलाते
सुख को तो हम बांट भी लेते,
दुख जाने क्यूं बांट न पाते
अंतर्मन के इक कोने में,
टीस कभी रह जाती है
मैं ना जिसे बता पाता हूं,
ना जुबान कह पाती है।
होते सब दुख दूर तभी, जब माथा सहलाती बिटिया।
जोश नया भर जाता मन में, जब धीमे मुस्काती बिटिया॥
 
लोग मूर्ख जो मासूमों से,
भेदभाव कोई करते हैं
जिम्मेदारी से बचने को
कई बहाने रचते हैं
बेटा-बेटी दिल के टुकड़े,
इक प्यारी इक प्यारा है
बेटा-बेटी एक समान,
हमने पाया नारा है
घर की बगिया में जो महके, सुन्दर कोमल फूल है बिटिया।
पाप भगाने तीरथ ना जा, सब तीरथ का मूल है बिटिया॥
 
मान मेरा सम्मान है बिटिया, अब मेरी पहचान है बिटिया।
ना मानो तो आ कर देखो, मां-पापा की जान है बिटिया॥
मेरी बिटिया सुन्दर बिटिया,
मेरी बिटिया प्यारी बिटिया॥
 

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