1.
चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।
चमचम चमचम वह तम हरते,
हरदम चलते ही रहते हैं।
कभी नहीं वह रुकते पलभर,
जब मिलते हैं हमसे हंसकर।
हंसो-हंसाओ सदा रहो खुश,
यह संदेश दिया करते हैं।
चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।
2.
तैर-तैर मछली इठलाती,
जल की रानी है कहलाती।
पंख सुनहरे नित चमकाती,
बिना कांटा पकड़ी नहीं जाती।
पानी में ही जीवित रहती,
पर भूखों का दुख न सहती।
परहित जीवन सदा लुटाती,
बलिदानी जग में कहलाती।
3.

रंग-बिरंगे प्यारे फूल
प्रातः बाग में खिलते फूल
भौरें रहे कलियों पर झूल।
सूरज जब सिर पर आता
खूब गर्मी बरसाता।
लेकिन जब है बारिश आती
गर्मी सारी कहीं भाग जाती।
तब खिलते हैं धरती पर
रंग-बिरंगे प्यारे फूल।
सभी फूल हंसते हैं बाग में
जैसे बच्चों की मुस्कान।
चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।
चमचम चमचम वह तम हरते,
हरदम चलते ही रहते हैं।
कभी नहीं वह रुकते पलभर,
जब मिलते हैं हमसे हंसकर।
हंसो-हंसाओ सदा रहो खुश,
यह संदेश दिया करते हैं।
चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।
2.
तैर-तैर मछली इठलाती,
जल की रानी है कहलाती।
पंख सुनहरे नित चमकाती,
बिना कांटा पकड़ी नहीं जाती।
पानी में ही जीवित रहती,
पर भूखों का दुख न सहती।
परहित जीवन सदा लुटाती,
बलिदानी जग में कहलाती।
3.
सदा झूमता आता हाथी,
सदा झूमता जाता हाथी।
पर्वत जैसी काया इसकी,
भारी भोजन खाता हाथी।
सूंड से भोजन सूंड से पानी,
भर-भर सूंड नहाता हाथी।
छोटी आंखें कान सूप से,
दांत बड़े दिखलाता हाथी।
राजा रानी शान समझते,
बैठा पीठ घुमाता हाथी।
अपनी पर जो आ जाए तो,
सबको नाच नचाता हाथी।
सदा झूमता जाता हाथी।
पर्वत जैसी काया इसकी,
भारी भोजन खाता हाथी।
सूंड से भोजन सूंड से पानी,
भर-भर सूंड नहाता हाथी।
छोटी आंखें कान सूप से,
दांत बड़े दिखलाता हाथी।
राजा रानी शान समझते,
बैठा पीठ घुमाता हाथी।
अपनी पर जो आ जाए तो,
सबको नाच नचाता हाथी।
4.
रंग-बिरंगे प्यारे फूल
प्रातः बाग में खिलते फूल
भौरें रहे कलियों पर झूल।
सूरज जब सिर पर आता
खूब गर्मी बरसाता।
लेकिन जब है बारिश आती
गर्मी सारी कहीं भाग जाती।
तब खिलते हैं धरती पर
रंग-बिरंगे प्यारे फूल।
सभी फूल हंसते हैं बाग में
जैसे बच्चों की मुस्कान।
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